टीन टॉक (हिंदी)

जीतें, किशोरों के साथ बातचीत करने की कला!

माता-पिता/अभिभावक के लिए ऑनलाइन कोर्स
3 भाषाओं में उपलब्ध
कालावधि – 1 घंटा
टीन टॉक (हिंदी)
    1. अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में उपलब्ध
    2. एनिमेटेड वीडिओ
    3. परस्परसंवादी उपक्रम
    4. प्रमाणपत्र

Rs 699 Rs 1,499

( inclusive of gst )

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इस प्रशिक्षण से आप क्या सीखेंगे?

किशोरावस्था में व्यवहार अक्सर भ्रमित करने वाला, मनमौजी  होता है। कभी-कभी वे बहुत परिपक्वता से व्यवहार करते हैं, कभी-कभी वे आक्रामक, गैर जिम्मेदार, गैर-जिम्मेदार, चिड़चिड़े और अकल्पनीय दिखाई देते हैं। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के साथ दोस्ती  से संवाद करने की कोशिश करते हैं, और वे अक्सर असफल होते हैं। ऐसे समय में वे खुद को असहाय महसूस करते हैं। माता-पिता और किशोर बच्चों के बीच एक प्रकार का खेल शुरू हो जाता है , जो "आज के बच्चे ना , मुश्किल है " या "मेरे माता-पिता एक अलग ही दुनिया के हैं!" जैसे संवाद के साथ समाप्त होता है! 

माता-पिता चिंतित होते हैं कि उनके बच्चों का व्यवहार उनके शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करेगा। हालांकि, इस तरह के व्यवहार के वैज्ञानिक कारण को समझना माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद को अधिक सार्थक और रचनात्मक बना सकता है। यह उनके स्वास्थ्य  विकास और प्रगति  के लिए अनुकूल वातावरण बना सकता है। अच्छा संवाद  मजबूत रिश्तों की ओर पहला कदम है।

इस छोटे से एक घंटे के कोर्स  के माध्यम से आप जानेंगे कि किशोरों  का मस्तिष्क कैसे काम करता है और किशोरों के साथ प्रभावी ढंग से कैसे संवाद कर सकतें  हैं ।

इसलिए माता-पिता, शिक्षक, मार्गदर्शक और इस आयु वर्ग के साथ काम करने वाले सभी लोगों का यहाँ स्वागत है!

कोर्स मोड्यूल्स

  • किशोर मस्तिष्क के वैज्ञानिक ज्ञान (न्यूरो सायन्स) को समझना
  • किशोरों में जोखिम भरे / आवेगी व्यवहार को समझना
  • किशोरावस्था में स्वतंत्रता की आवश्यकता को समझना
  • कृति और परिणामों के बीच के संबंध को समझना और जागरूकता पैदा करना
  • आत्म-नियंत्रण और समय नियोजन कौशल विकसित करना

विशेषताएँ

  • समय : 1 घंटा 
  • भाषा: हिंदी
  • प्रशिक्षण की अवधि - प्रशिक्षण की शुरुआत से 30 दिन होगी।
  • वीडियो
  • उपक्रम
  • प्रश्न-उत्तर
  • डाऊनलोड सामग्री
  • बड़े संगठनों के लिए 'एडमिन पैनल' सुविधा

विशेषज्ञ

डॉ. शिरिषा साठे
डॉ. शिरिषा साठे
डॉ. साठे एक प्रसिद्ध समुपदेशक हैं जो मानती हैं कि चिकित्सीय हस्तक्षेप सीमित समय के लिए, सटीक और प्रभावी होना चाहिए। वे समस्या की जड़ तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करती हैं और सामने वाले व्यक्ति को समस्या और अपने जीवन के सूत्रों को अपने हाथों में लेने के लिए सक्षम बनाने पर उनका जोर रहता हैं। मेडिकल डॉक्टर होने के साथ ही चिकित्सा मनोविज्ञान में मास्टर डिग्री लिए हुए डॉ. साठे शरीर विज्ञान और व्यवहार से संबंधित न्यूरोसायन्स और मनोविज्ञान का समन्वय और संतुलन बनाए रखती है। किशोरों के समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, वह कई गैर-सरकारी संगठनों के साथ नशामुक्ति, कौटुंबिक हिंसा, वैवाहिक और विवाहपूर्व समुपदेशन के क्षेत्रों में भी काम कर रहीं है।
शीतल बापट
शीतल बापट
एस.ए.एफ. इंडिया की सह-संस्थापक, ‘राइट टू राइट एजुकेशन ’ इस उद्देश्य से करिअर मार्गदर्शन और जीवन कौशल (life skills) के क्षेत्र में 5 राज्यों के 1 करोड़ से अधिक छात्र तथा 40,000 से अधिक शिक्षकों को सेवा शिक्षक प्रशिक्षण द्वारा प्रशिक्षित करने के लिए काम कर रहीं हैं। युवक, अभिभावक एवं माता-पिता को मार्गदर्शन करने के लिए उनके कॉर्पोरेट अनुभव और उससे भी महत्त्वपूर्ण उनके 20 साल से अधिक समृद्ध पेरेंटिंग अनुभव की जोड़ उनके कार्य को मदद करती है।

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