कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीड़न का प्रतिबंध - कानून और उससे परे (Basic Level)

POSH अधिनियम, २०१३ पर आधारित ऑनलाइन पाठ्यक्रम

३ भाषाओं मे उपलब्ध
कालावधी - ९० मिनिट 
कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीड़न का प्रतिबंध - कानून और उससे परे (Basic Level)
    1. अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में उपलब्ध
    2. एनिमेटेड वीडिओ
    3. परस्परसंवादी उपक्रम
    4. प्रमाणपत्र

Rs 499 Rs 785

( inclusive of gst )

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प्रशिक्षण की जानकारी

प्रशिक्षण की जानकारी भारत सरकार ने 'कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013' पारित किया है, जिसे POSH अधिनियम के रूप में जाना जाता है। यह कानून कार्यस्थल में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण बनाने में मदद करता है। इस कानून को लागू करना संगठन / कंपनी की जिम्मेदारी है।

इस प्रशिक्षण में एकरूपता लाने और अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने के लिए, 'एस. ए. एफ. इंडिया अकादमी' के द्वारा यह ऑनलाइन पाठ्यक्रम बनाया है।

POSH अधिनियम के अनुसार, हर एक कर्मचारी को इस अधिनियम के बारे में जानकारी होनी चाहिए। ‘लैंगिक उत्पीड़न’ का क्या अर्थ है ? और अगर लैंगिक उत्पीड़न हुआ तो निवारण प्रक्रिया किस प्रकार होती है आदि की जानकारी इस पाठ्यक्रम से मिलती हैं। यह पाठ्यक्रम कानून से भी परे इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी प्रदान करता है। जैसे, लैंगिक उत्पीड़न के पूर्वलक्षण या कोई व्यक्ति लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए परिवर्तन कैसे ला सकती है और इस प्रकार कार्यस्थल में सुरक्षा, विश्वास और न्याय का माहौल कैसे बनाए’ रखा जा सकता है, यह हम समझ सकते हैं।

यह प्रशिक्षण किस लिए?

पॉश अधिनियम, 2013- राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित, धारा 19, धारा 24 (ए) और नियम 13 (एफ) का अनुपालन करने वाला एक मात्र ऑनलाइन पाठ्यक्रम

  • प्रत्येक नियोक्ता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सकता है
  • सदस्यों और कर्मचारियों की संवेदनशीलता के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण किसके लिए है?

यह प्रशिक्षण सब कर्मचारियों के लिए उपयोगी है।


कोर्स मोड्यूल्स

  • लैंगिक उत्पीड़न और मानसिकता (लैंगिक उत्पीड़न के पीछे की मानसिकता की पहचान)
  • कार्यस्थल पर होने वाला लैंगिक उत्पीड़न (कार्यस्थल में होने वाले लैंगिक उत्पीड़न का कारण क्या हो सकता है या कौन सी गतिविधि लैंगिक उत्पीड़न हो सकती है)
  • POSH कानून और इसके तहत दिशानिर्देश (समझें कि इस कानून का उपयोग कैसे और कहाँ किया जा सकता है।)
  • परिणाम और प्रतिक्रियाएँ - कानून और कानून से परे जो आने वाले समय में सुरक्षा, विश्वास और निष्पक्षता की संस्कृति वाले कार्यस्थल को बनाने में मदद करेगा।
  • परिवर्तन की भूमिका (समझें कि आप में से प्रत्येक व्यक्ति कार्यस्थल में लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए क्या कर सकता है।

  • विशेषताएँ

    • समय : लगभग ९० मिनट
    • भाषा: हिंदी
    • प्रशिक्षण की अवधि - प्रशिक्षण की शुरुआत से 30 दिन होगी।
    • वीडियो
    • उपक्रम
    • स्वगत और अनुभव
    • प्रश्न-उत्तर
    • डाऊनलोड सामग्री
    • संदर्भ सामग्री
    • बड़े संगठनों के लिए भी लागू करने के लिए बेहद आसान प्रशिक्षण।

    विशेषज्ञ

    डॉ. शिरिषा साठे
    डॉ. शिरिषा साठे
    डॉ. साठे एक प्रसिद्ध समुपदेशक हैं जो मानती हैं कि चिकित्सीय हस्तक्षेप सीमित समय के लिए, सटीक और प्रभावी होना चाहिए। वे समस्या की जड़ तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करती हैं और सामने वाले व्यक्ति को समस्या और अपने जीवन के सूत्रों को अपने हाथों में लेने के लिए सक्षम बनाने पर उनका जोर रहता हैं। मेडिकल डॉक्टर होने के साथ ही चिकित्सा मनोविज्ञान में मास्टर डिग्री लिए हुए डॉ. साठे शरीर विज्ञान और व्यवहार से संबंधित न्यूरोसायन्स और मनोविज्ञान का समन्वय और संतुलन बनाए रखती है। किशोरों के समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, वह कई गैर-सरकारी संगठनों के साथ नशामुक्ति, कौटुंबिक हिंसा, वैवाहिक और विवाहपूर्व समुपदेशन के क्षेत्रों में भी काम कर रहीं है।
    अ‍ॅड. वैशाली भागवत
    अ‍ॅड. वैशाली भागवत
    अ‍ॅड. वैशाली भागवत देश के पहले प्रौद्योगिकी वकील हैं जिनके पास आईटी के क्षेत्र की पूर्व पात्रता और अनुभव है। अ‍ॅड. भागवत २२ साल से अधिक प्रॅक्टिशनर वकीली का काम कर रही हैं और पुणे में 'ऑल सर्व्हिस लॉ फर्म'का नेतृत्व कर रही हैं। उनके प्रैक्टिस में सिविल, आपराधिक और साइबर कानून में मुकदमेबाजी और गैर-मुकदमेबाजी शामिल है। इसके अलावा, वे प्रौद्योगिकी और महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामलों में न्याय मिलने पर विशेष जोर देती हैं।
    प्रसन्ना इनवल्ली
    प्रसन्ना इनवल्ली
    पिछले 30 वर्षों से, श्रीमती प्रसन्ना इनवल्ली महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने, हिंसा को रोकने और कौटुंबिक हिंसा के पीड़ितों की सहायता और उन्हें परामर्श प्रदान करने के लिए काम कर रही हैं। नेतृत्व विकास के लिए 'मैकआर्थर फाउंडेशन फैलोशिप' प्राप्त करने के बाद, उन्होंने ‘सखी हेल्पलाइन’ नामक कौटुंबिक हिंसा टेलीफोन हेल्पलाइन शुरू की।कार्यस्थल में महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए गठित विभिन्न संगठनों की आंतरिक समितियों में वह एक बाहरी सदस्य के रूप में भी काम करती हैं।

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